क्या कम्युनिस्ट/मार्क्सवादी विचारधारा भारत के लिए सही है?
कम्युनिस्ट विचार धारा भारत जैसे देश के लिए कभी परफेक्ट हो ही नहीं सकता, भारत में अनेक तरह के लोग और अनेक प्रकार कि संस्कृति हैं।
ऐसे में पूरे भारत को बदलना वो साम्यवादी विचार धारा से बहुत मुश्किल है।
अब कुछ लोग ये भी बोलेंगे कि मुश्किल है नामुमकिन नहीं, दरअसल ये नामुमकिन ही है। जहां तक मैने कम्युनिस्ट विचार धारा को जाना है पढ़ा है, कुछ हद तक ये विचार धारा अच्छा विचार धारा है किंतु भारत जैसे देश के लिए ये सभी विचारधारा असफल हैं।
यहां अनेक प्रकार के व्यक्ति रहते हैं, अनेक प्रकार कि सभ्यता और संस्कृति हैं। भारत कि पहचान हि यहां कि सभ्यता और संस्कृति हैं एक ही देश में अनेक भाषाएं बोली जाती हैं ।
मार्क्सवाद और कम्युनिस्ट में अंतर
मार्क्सवाद एक प्रकार का सिद्धांत है ये सिद्धांत हर वर्ग को बराबर का अधिकार हो ये विचार किसान और मजदूर वर्ग के समर्थन में और पूंजीपति वर्ग के विरुद्ध में बनाई गई।
कम्युनिस्ट वो लोग हैं जो मार्क्सवादी विचार धारा को मानते हैं अनुसरण करते हैं।
अब जब आप इसे पढ़ेंगे तो आप भी इस विचार धारा को मानने लगेंगे, क्योंकि ये सिद्धांत किसान और मजदूर वर्ग के लिए बहुत ही उचित हैं।
भारत में मार्क्सवादी सिद्धांत के चुनौतियां।
अनेक प्रकार कि चुनौतियां हैं भारत में लेकिन जो सबसे बड़ी चुनौतियां हैं वो है धार्मिक और सांस्कृतिक चुनौतियां।
जैसा कि मैने बताया था पहले ही भारत में अनेक प्रकार कि सभ्यता और संस्कृति हैं। हर व्यक्ति कि धार्मिक आस्था हैं और ये आस्था सदियों पुराना है, ऐसे में लोगों के बिच साम्यवाद का सिद्धांत रखना और उनका आस्था में बदलाव करना बहुत मुश्किल है ।
दूसरा जो सबसे बड़ा चुनौती है वो है अर्थव्यवस्था क्योंकि हमारे देश का अर्थव्यवस्था पूंजीवाद और समाजवाद का मिश्रण है।
चुनौतियां बहुत हैं किंतु ये महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं।
SSpD Sunny Raj 

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