।। मां।।

धरती तू , गगन तू!
अग्नि,वायु और जल भी तू।
श्रृष्टि का कण कण हैं, तू।।

हंसी तू, खुशी तू!
हर दुख दर्द कि साथी तू।
मेरा सब कुछ तू ही तू।।

मेरी आस्था कि ईश्वर तू!
मेरी हर राह कि मंज़िल तू।
जो मिट न सके मिटाने से,
मेरी वो खूबसूरत किस्मत तू।।

प्रेम तू, राग तू!
हर समस्या का हल तू।
जो मापा नहीं जा सकता,
उस ममता कि सागर तू।।

श्रृष्टि कि रचयिता तू,
मेरा मान अभिमान तू 
शब्दों कि भंडार तू 
चाहें जितना भी लिखूं,
जो कभी खत्म न हों वो दास्ता तू।।
to be Continue...


- SSpD Sunny Raj 



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