क्या राजनेता आपके अधिकार के लिए लड़ता है ?-1

 जय हिन्द बंधुओ,

एक राजनेता कभी भी आपके अधिकार के लिए नहीं लड़ सकता अपितु वो आपसे आपका अधिकार भी छिन लेता है। चलिए इसी चीज़ को कुछ उदाहरण के तौर पर समझते हैं।


उदाहरण:१

• एक आम नागरिक अपने जाती समुदाय को अपने पक्ष में करता है और वो एक सांसद भी बन जाता हैं फिर वो उस आम  नागरिको का शोषण करता है। इस बात से बेखबर वो आम नागरिक उसका कट्टर समर्थक बन जाता हैं। कायदे से इस सांसद को जमीनी स्तर पर कार्य कर लोगो कि समस्या का निवारण करना चाहिए था किंतू वो काम नहीं कर जातिवाद को समाज में बढावा देता है, किसी और जाती समुदाय (ब्राह्मण, दलित, क्षत्रिय,यादव)को राजनीती में नहीं आने देता है अगर कोई आने का प्रयास करता है तो उसे दबाने के लिए उस आम नागरिक (जातिगत) को अपने दल का कार्यकर्ता घोषित कर देता है, वही वो नेता यहीं नहीं रुकता है वो नेता अपने परिवार और रिश्तेदारों को राजनीती में उतार देता है।

• तत् पश्चात् वो नेता अपने जाति समुदाय के साथ बार बार धोखा करता है और इस बात से बेखौफ आम नागरिक उसका कट्टर समर्थक बन जाता हैं सिर्फ इस लिए क्योंकि वो उसके जाती समुदाय का हैं।

उदाहरण:२

• चुनाव जब नहीं रहती है तो आपलोग गौर किए होंगे कि राजनेता अदृष्य हो जाते हैं, नज़र तक नहीं आते हैं। उस नेता का वेतन 75000 होता हैं लेकिन उसके पास 20 लाख कि कार, 50 लाख कि घर जरूर मिल जायेगा।
• एक और बात जिसे मैं सोचता हूं वो यह कि नेता हमेशा पैसा वाला ही व्यक्ति क्यू बनता हैं? अगर एक गरीब व्यक्ती चुनाव लड़ता है तो हार क्यू जाता हैं?
इसमें मैं किसी राजनेता कि गलती नहीं मानता अपितु मैं इसमें गलती आम नागरिक का मानता हूं क्योंकि आम नागरिक गरीब को न चुन कर अमीर को अपना नेता चुनते जिसके कारण से उनका शोषण होता हैं।

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जय हिन्द 
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